Tuesday, March 12, 2019

तथाकथित साम्यवादियों के 'ठगबन्धन'


तथाकथित साम्यवादियों की कथनी और करनी के अन्तर को देखने के लिये भारत की राजनीति में तथाकथित साम्यवादी राजनीतिक दलों के अन्य दलों के साथ गठबन्धनों का अध्ययन करना उचित रहेगा।
भारत के कुछ प्रमुख साम्यवादी दलों के चुनावी गठबन्धनों का विवरण निम्नलिखित है:-
(1) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI):-
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का 1970 से 1977 की अवधि में मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल राष्ट्रीय कांग्रेस से गठबन्धन रहा। इस गठबन्धन के फलस्वरूप इन तथाकथित साम्यवादियों ने मनुवादियों के साथ मिलकर केरल में सरकार का गठन किया और सत्ता सुख भोगा।
मनुवादियों-पूंजीवादियों के अवसरवादी चुनावी गठबन्धन संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (UPA) में अन्य साम्यवादी दलों के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) भी एक घटक दल था। विभिन्न साम्यवादी दलों के साथ सी0पी0आई0 भी अपने स्वार्थों के कारण वर्ष 2008 में यू0पी00 से बाहर गयी।
(2) कम्युनिस्ट मार्क्ससिस्ट पार्टी (CMP):-
मनुवादियों-पूंजीवादियों के अवसरवादी चुनावी गठबन्धन संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (UPA) में कम्युनिस्ट मार्क्ससिस्ट पार्टी (CMP) वर्तमान में भी एक घटक दल है।
(3) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) [CPI(M)]:-
मनुवादियों के विभिन्न घटकों ने अपने स्वार्थों के वशीभूत होकर 1977 में एक मनुवादी-पूंजीवादी दल जनता पार्टी के साथ गठबन्धन किया जिससे दूसरे मनुवादी-पूंजीवादी दल कांग्रेस द्वारा आपातकाल की घोषणा करने से हुए अपयश का लाभ उठाया जाए और जनता पार्टी के द्वारा सत्ता पर मनुवादियों-पूंजीवादियों का कब्जा बनाये रखा जाए। इस मनुवादी-पूंजीवादी गठबन्धन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) अप्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हो गयी तथा चुनावों में मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल जनता पार्टी के प्रत्याशियों के विरुद्ध कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया।
श्री वी0पी0 सिंह के नेतृत्व में 1989 में बनी जनता दल की मनुवादी सरकार को घोर साम्प्रदायिक घृणा फैलाने वाले दल भारतीय जनता पार्टी और क्रान्ति के ठेकेदार तथाकथित साम्यवादियों, दोनों का ही समर्थन था। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) और अन्य तथाकथित साम्यवादियों ने बड़ी निर्लज्जता से इस मनुवादी-पूंजीवादी सरकार को समर्थन दिया। जनता दल की इस मनुवादी सरकार को तथाकथित साम्यवादियों द्वारा दिये गए समर्थन ने ही भाजपा के लिये आक्सीजन का काम किया था। सत्ता में भागीदारी के कारण ही भाजपा को देश भर में रथयात्रा द्वारा साम्प्रदायिकता फैलाने का अवसर मिल सका। इसके परिणामस्वरूप बाबरी मस्जिद का विध्वंस सम्भव हुआ और देश भर में व्यापक स्तर पर हुए साम्प्रदायिक दंगों के कारण हजारों लोग मारे गए। यह भी ध्यान देने योग्य है कि घोर अवसरवादी गठजोड़ से बनी जनता दल की मनुवादी-पूंजीवादी सरकार जिसको क्रान्ति के ठेकेदार तथाकथित साम्यवादियों का समर्थन था और जिस कारण भाजपा को सत्ता में भागीदार बनने का अवसर मिला, उस मनुवादी-पूंजीवादी सरकार में भाजपा द्वारा घोर साम्प्रदायिकता फैलाने के कार्यों के बाद भी क्रान्ति के ठेकेदारों अर्थात तथाकथित साम्यवादियों ने उस मनुवादी-पूंजीवादी सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया। 23 अक्टूबर 1990 को श्री लालू प्रसाद यादव द्वारा राम रथयात्रा कर रहे भाजपा के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने के फलस्वरूप भाजपा द्वारा स्वयं ही जनता दल सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण जनता दल सरकार का पतन हो सका। इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि भाजपा को बढ़ने का अवसर देने और साम्प्रदायिकता फैलाकर बाबरी मस्जिद विध्वंस करने तथा दंगों में हजारों लोंगो को मरवाने के लिये मुख्य रूप से क्रान्ति के ठेकेदार तथाकथित साम्यवादी ही उत्तरदायी हैं। यदि इन तथाकथित साम्यवादियों ने मक्कारी नहीं दिखाई होती और सत्ता के लालच में जनता दल सरकार का गठन किया होता तो आज देश को इतने हिंसक साम्प्रदायिक वातावरण से नहीं गुजरना पड़ता। अतः बाबरी मस्जिद विध्वंस के वास्तविक दोषी ये तथाकथित साम्यवादी ही हैं।
मनुवादियों-पूंजीवादियों के अवसरवादी चुनावी गठबन्धन संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (UPA) में अन्य साम्यवादी दलों के साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट) [CPI(M)] भी एक घटक दल था। विभिन्न साम्यवादी दलों के साथ सी0पी0आई0 (एम0) भी अपने स्वार्थों के कारण वर्ष 2008 में यू0पी00 से बाहर गयी।
(4) रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ऑफ केरल (बोल्शेविक)
Revolutionary Socialist Party of Kerala (Bolshevik) [RSP(B)]:-
इस पार्टी के मुख्य नेता बेबी जॉन, 0वी0 थामरक्षन हैं और इसका मुख्यालय अलाप्पुझा, केरल में है। वर्ष 2001 में इस तथाकथित साम्यवादी पार्टी ने केरल में मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल कांग्रेस से गठबंधन किया था। इस तथाकथित साम्यवादी पार्टी का मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल कांग्रेस से वर्ष 2005 तक गठबंधन रहा।
वर्ष 2014 से 2016 तक इस तथाकथित साम्यवादी पार्टी का केरल और केन्द्र में गठबंधन मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी से रहा।
(5) जनथिपथिया समरक्षना समिथि (Janathipathiya Samrakshana Samithy)
(Translation: Association for the Defence of Democracy):-
यह केरल की तथाकथित साम्यवादी पार्टी है जिसकी स्थापना के0आर0 गौरी अम्मा ने वर्ष 1994 में की थी। इस पार्टी के श्री राजन बाबू गुट [JSS (Rajan Babu)] ने वर्ष 2016 में मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया जो अब तक चल रहा है।
इसी तरह देश में तथाकथित साम्यवादियों के सैकड़ों राजनीतिक दल हैं जो साम्यवाद-मार्क्सवाद का मुखौटा लगाकर मनुवादियों से सांठ-गांठ करके सत्ता सुख भोग रहे हैं और शोषितों को धोखा दे रहे हैं।
तथाकथित साम्यवादियों और मनुवादियों-पूंजीवादियों के दलों के सदस्यों द्वारा दल बदल कर पुनः सत्ता में बने रहने के भी अनेक उदाहरण हैं। कितने ही मनुवादी-पूंजीवादी जो कुछ समय पूर्व किसी तथाकथित साम्यवादी दल के सदस्य थे वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस आदि मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दलों के सदस्य बन चुके हैं। पश्चिम बंगाल में कितने ही मनुवादी-पूंजीवादी जो पहले तथाकथित साम्यवादी दलों के सदस्य बनकर सत्ता सुख भोग रहे थे राज्य में मनुवादी-पूंजीवादी राजनीतिक दल तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने के बाद तुरन्त ही मनुवादी राजनीतिक दल तृणमूल कांग्रेस के सदस्य बनकर पुनः सत्ता सुख भोग रहे हैं।
उपासक शीलप्रिय बौध्द ने सम्यक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित और बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखित लेखों के संकलन 'बौध्द धर्म और साम्यवाद' की संपादकीय में इन तथाकथित साम्यवादी ठगों की असलियत का वर्णन किया है, उन्ही के शब्दों में:-
"2006 के दशहरे के दिनों में कोलकाता में सदा की भांति दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जा रहा था। पश्चिम बंगाल सरकार (तत्कालीन वामपंथी सरकार) के एक मंत्री पूजा की थाली लिये अपने हिंदुत्व की वेश-भूषा में देवी की अर्चना करने जब अपने कदम बढ़ा रहे थे तो एक मीडिया-कर्मी ने साहस बटोर कर उन मंत्री महोदय से प्रश्न कर दिया कि आप तो कम्युनिस्ट (साम्यवादी) हैं और पूजा करने जा रहे हैं। कम्युनिस्ट तो धार्मिक कर्म-काण्डों में विश्वास नहीं करते। इस पर उन मंत्री महोदय ने जो उत्तर दिया वह उन सभी दलित साम्यवादियों के लिये आँख खोलने वाला था। मंत्री महोदय ने मीडिया-कर्मी को तपाक से उत्तर दिया- 'पहले मैं ब्राह्मण हूँ, बाद में कम्युनिस्ट। अतः पूजा करना मेरा प्रथम धर्म है'"1
यहां यह भी उल्लेखनीय होगा कि इन तथाकथित साम्यवादियों ने कुकुरमुत्तों की तरह देश में सैकड़ों साम्यवादी राजनीतिक दल बना रखे हैं और सभी स्वयं को एकमात्र सच्चा मार्क्सवादी दल और अन्यों को संशोधनवादी बताते हैं। इसलिए इनके लिये अपनी मक्कारी और धोखेबाजी को छिपाकर शोषितों को भ्रमित करने में आसानी रहती है। इसी तथ्य का वर्णन करते हुए डॉ0 सुरेन्द्र अज्ञात कहते हैं:-
"मार्क्सवादियों का बहस में से भाग जाने का एक बहुत सुन्दर बहाना है, वे जिस मार्क्सी पार्टी की किसी आपत्तिजनक बात का बुद्ध और अम्बेडकर के अनुयायियों को जवाब दे पाने में अपने को असमर्थ पाते हैं, उसके बारे में एकदम यह कह देते हैं कि वह मार्क्सी पार्टी तो 'संशोधनवादी (Revisionist)' है।
CPI की पहुंच पर आपत्ति करें तो CPI(M) वाले कह उठते हैं कि वह संशोधनवादी एवं दक्षिणपंथी है। CPI(M) के अमल या उसकी पहुंच की बात करें तो CPI(ML) वाले उसे रदद् कर देते हैं। उनके अनुसार वह तो मार्क्सी है ही नहीं, CPI(ML) के नाम से कई दर्जन पार्टियां हैं। एक CPI(ML) की पहुंच को दूसरी CPI(ML) संशोधनवादी और दक्षिणपंथी कहती है। इस तरह मार्क्स के नाम पर अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना राग है।"2
मान्यवर श्री कांसीराम साहब ने भी तथाकथित साम्यवादियों और मनुवादियों की धोखेबाजी के विषय में कहा था कि:-
"ब्राह्मणवाद (मनुवाद) की पांच टीम हैं इंडिया में, कांग्रेस '' टीम है, बीजेपी 'बी' टीम है, जनता दल 'सी' है, सी0पी0एम0 'डी' और सी0पी0आई0 '' है, ये पांच टीमें हैं ब्राह्मणवाद (मनुवाद) की।"3
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि मनुवादियों और इनके सगे भाई तथाकथित साम्यवादी ठगों के बीच गठबंधन अर्थात शोषितों को ठगने के लिये बना 'ठगबंधन' कोई दुर्लभ वस्तु नहीं है। वास्तव में शोषितों को ठगने के लिये ही मनुवादियों ने 'समाजवाद', 'साम्यवाद', 'मार्क्सवाद' के मुखौटे लगा रखे हैं।
बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर ने कहा है कि रूढ़िवादी ब्राह्मण और उदारवादी ब्राह्मण ब्राह्मणवाद या मनुवाद के दाएं और बाएं हाथ हैं। जो ब्राह्मणवाद या मनुवाद की रक्षा के लिये एक दूसरे का सहयोग करते रहते हैं। इसी तरह मनुवादी और तथाकथित साम्यवादी भी मनुवादी-पूंजीवादी व्यवस्था के दाएं और बाएं हाथ हैं। जो मनुवादी-पूंजीवादी व्यवस्था की रक्षा के लिये एक-दूसरे से सहयोग करते रहते हैं। इसलिये शोषितों को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिये कि चोर-चोर तो मौसेरे भाई ही होते हैं लेकिन मनुवादी और तथाकथित साम्यवादी 'सगे' भाई हैं और ये दोनों शोषितों को भ्रमित करके उनको ठग रहे हैं।
----------------मैत्रेय
सन्दर्भ और टिप्पणियाँ
1.       बौध्द धर्म और साम्यवाद, डॉ0 बी0 आर0 अम्बेडकर, सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2008, नामक पुस्तक में उपासक शीलप्रिय बौध्द द्वारा लिखित संपादकीय का अंश, पृष्ठ-3.
2.       जाति, बुद्ध अम्बेडकर जरूरी, मार्क्स फालतू, लेखक- डॉ0 सुरेन्द्र अज्ञात, संस्करण- 2013, प्रकाशक- सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली, पृष्ठ- 26.
3.       जी0टी0वी0, 19 दिसम्बर (सुबह 10 बजे) 1993 में प्रसारित साक्षात्कार, मा0 कांसीराम साहब के साक्षात्कार, सम्पादक- 0आर0 अकेला, द्वितीय संस्करण- 9 अक्टूबर 2011, प्रकाशक- आनन्द साहित्य सदन, सिद्धार्थ मार्ग, छावनी, अलीगढ़, पृष्ठ- 196.

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