Wednesday, May 6, 2020

22 प्रतिज्ञाएं और शोषित जातियां


बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने महान धम्म क्रांति करते हुए 14 अक्टूबर 1956 को बुद्ध धम्म ग्रहण किया तत्पश्चात समारोह में उपस्थित लाखों अनुयायियों को बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने बुद्ध धम्म दीक्षा प्रदान की और अनुयायियों को प्रसिद्ध 22 प्रतिज्ञाएं भी ग्रहण करवायीं। ये 22 प्रतिज्ञाएं निम्नलिखित हैं:-
(1) मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और कभी उनकी पूजा करूंगा।
(2) मैं राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और कभी उनकी पूजा करूंगा।
(3) मैं गौरी, गणपति इत्यादि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवता को नहीं मानूंगा और ही उनकी पूजा करूंगा।
(4) मैं इस बात पर विश्वास नहीं करूंगा कि ईश्वर ने कभी अवतार लिया है।
(5) मैं इस बात को कभी नहीं मानूंगा कि तथागत बुद्ध विष्णु के अवतार हैं और मैं ऐसे प्रचार को पागलपन का झूठा प्रचार समझता हूँ।
(6) मैं कभी श्राद्ध नहीं करूंगा और ही कभी पिंडदान दूंगा।
(7) मैं बुद्ध धम्म के विरुद्ध कोई भी आचरण नहीं करूंगा।
(8) मैं कोई भी संस्कार ब्राह्मणों के हाथों से नहीं कराऊंगा।
(9) मैं यह मानता हूँ कि सभी मनुष्य एक समान हैं।
(10) मैं समानता की स्थापना के लिए प्रयत्न करूंगा।
(11) मैं तथागत बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का पूर्ण पालन करूंगा।
(12) मैं तथागत बुद्ध द्वारा बताई गई दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करूंगा।
(13) मैं प्राणी मात्र पर दया रखूंगा और उनका लालन-पालन करूंगा।
(14) मैं चोरी नहीं करूंगा।
(15) मैं झूठ नहीं बोलूंगा।
(16) मैं व्यभिचार नहीं करूंगा।
(17) मैं शराब नहीं पियूंगा।
(18) मैं अपने जीवन को बुद्ध धम्म के तीन तत्व अर्थात ज्ञान, शील और करुणा के अनुरूप ढालने का प्रयत्न करूंगा।
(19) मैं मनुष्य मात्र के उत्कर्ष के लिए हानिकारक और मनुष्य मात्र को असमान तथा नीच मानने वाले अपने पुराने हिन्दू धर्म का पूरी तरह त्याग करता हूँ और बुद्ध धम्म को स्वीकार करता हूँ।
(20) मेरा ऐसा पूर्ण विश्वास है कि बुद्ध धम्म ही सद्धम्म है।
(21) मैं यह मानता हूँ कि मेरा नया जन्म हो रहा है।
(22) मैं यह पवित्र प्रतिज्ञा करता हूँ कि आज से मैं बुद्ध धम्म की शिक्षाओं के अनुसार ही आचरण करूंगा।
ये 22 प्रतिज्ञाएं बुद्ध धम्म ग्रहण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए पालन करना अनिवार्य है। यदि शोषित जातियों का कोई व्यक्ति स्वयं को बुद्ध धम्म का अनुयायी कहता है परन्तु इन 22 प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं करता है तो यह निश्चित है कि उसने अभी पूर्ण रूप से बुद्ध धम्म को ग्रहण नहीं किया है।
वास्तव में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा बुद्ध धम्म के साथ ही 22 प्रतिज्ञाएं ग्रहण करवाने का उद्देश्य शोषित जातियों को मनुवादी धार्मिक-सांस्कृतिक दासता से मुक्त कराना और उनकी बुद्ध संस्कृति निर्मित करना था। सदियों की मनुवादी दासता के कारण शोषित जातियां अपनी वास्तविक संस्कृति को भूलकर मनुवादियों की शोषक संस्कृति को अपनी संस्कृति मानने लगी थीं। अपनी मानसिक दासता से उत्पन्न हीन भावना के कारण शोषित जातियां मनुवादियों के देवी-देवताओं, तथाकथित भगवानों और त्यौहारों को अपना मानकर उनका पालन करने लगी थीं। इसी मनुवादी दासता से मुक्ति हेतु शोषित जातियों में स्वाभिमान और आत्मसम्मान जागृत करने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने बुद्ध धम्म के साथ ही 22 प्रतिज्ञाएं भी शोषित जातियों को ग्रहण करवायीं ताकि शोषित जातियां अपनी बुद्ध संस्कृति का पुनर्निर्माण कर सकें।
कुछ आलोचक यह कहते हैं कि 22 प्रतिज्ञाएं बुद्ध धम्म का अंग नहीं हैं। इस सम्बंध में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने स्वयं कहा है कि उनका बुद्ध धम्म किसी भी पूर्व विद्यमान बुद्ध पंथ से अलग है और यह शोषित जातियों के अधिकतम कल्याण हेतु तथागत बुद्ध की मूल शिक्षाओं के आधार पर प्रवर्तित किया गया है। इसी कारण बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने तथागत बुद्ध की मूल शिक्षाओं की कसौटी के रूप में कहा है कि जो तर्कसंगत है और जो बुद्धिसंगत है वो बुद्ध-वचन है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शब्दों में:-
"(13) यदि कोई ऐसी बात है जिसके बारे में विश्वास के साथ कहा जा सकता है तो वह यह है कि उनका कोई महत्व नहीं होता यदि उनका कथन बुद्धिसंगत, तर्कसंगत नहीं होता। इसलिए जो कुछ भी बुद्धिसंगत और तर्कसंगत है, अन्य बातें समान होते हुए, उसे 'बुद्ध-वचन' के रूप में लिया जा सकता है।"1
इसीलिए तथागत बुद्ध की मूल शिक्षाओं को वर्तमान समय में शोषित जातियों हेतु अधिकतम कल्याणकारी बनाने के लिए ही बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने शोषित जातियों को 22 प्रतिज्ञाओं का पालन करने के लिए कहना आवश्यक समझा।
इस प्रकार शोषित जातियों के प्रत्येक व्यक्ति को बुद्ध धम्म ग्रहण करने के साथ ही साथ 22 प्रतिज्ञाओं का पालन करना भी अनिवार्य है तभी शोषित जातियां मनुवादी मानसिक दासता से मुक्त हो सकेंगी।
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सन्दर्भ और टिप्पणियां
1- बुद्ध और उनका धम्म (Buddha and his Dhamma), बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, संस्करण- जून 2011, पृष्ठ- 312, प्रकाशक:- सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली।

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