Saturday, May 30, 2020

दलाल मीडिया का दोगलापन


केन्द्र की वर्तमान मनुवादी-पूंजीवादी सरकार ने श्री बल्लभ भाई पटेल की 'एकता की प्रतिमा (Statue of Unity)' तथा श्री शिवा का स्मारक या 'शिव स्मारक' बनवाने का निर्णय लिया है। मनुवादी-पूंजीवादी सरकार ने एकता की प्रतिमा के डिजाईन, निर्माण और रख-रखाव की संविदा बहुराष्ट्रीय कम्पनी लार्सन और टूब्रो (Larsen and Toubro) को 2989 करोड़ रुपयों में दी गयी है। इसी प्रकार श्री शिवा के स्मारक पर 4000 करोड़ रुपयों की लागत की घोषणा की गयी है। मनुवादी-पूंजीवादी सरकार ने फ्रांस की कम्पनी एगिस (Egis) की शाखा एगिस इन इंडिया को शिव स्मारक का प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कन्सल्टेंट बनाया है। इस प्रकार एकता की प्रतिमा और शिव स्मारक पर कुल 6989 करोड़ रुपयों की लागत आएगी जिसमें और वृद्धि होने की भी सम्भावना है।
इसमें भी यह बात महत्वपूर्ण है कि इन दोनों स्मारकों में व्यय की गयी कुल धनराशि 6989 करोड़ रुपयों का समस्त लाभ विदेशी कम्पनियों और इन्ही मनुवादी-पूंजीवादी लोगों को मिलेगा। इसी के साथ यह तो केवल दो स्मारकों की ही बात है। इसके अतिरिक्त देश भर में फैले हुए मनुवादियों के मन्दिरों, गौशालाओं, आश्रमों आदि मनुवादी स्थलों को मनुवादी-पूंजीवादी सरकारों द्वारा हजारों करोड़ रुपयों का अनुदान दिया जाता है। इन मनुवादी-पूंजीवादी सरकारों द्वारा इन मनुवादी स्थलों को हजारों वर्ग मीटर भूमि निःशुल्क या अत्यन्त कम मूल्य पर दे दी जाती है तथा इसके साथ ही साथ ये मनुवादी स्थल अवैध रूप से हजारों वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा भी कर लेते हैं परन्तु ये मनुवादी-पूंजीवादी सरकारें चुप्पी साधे रहती हैं। इस प्रकार देखा जाए तो इस तरह लाखों करोड़ रुपयों की बन्दरबाँट ये मनुवादी-पूंजीवादी लोग कर रहे हैं। इन मनुवादी स्थलों और स्मारकों का शोषित वर्ग को कोई लाभ नहीं होता जबकि शोषित वर्ग के खून-पसीने की कमाई को लूटकर ही ये मनुवादी-पूंजीवादी लोग इनसे लाभान्वित हो रहे हैं। परन्तु मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया इन तथ्यों पर आँखे मूँद लेता है। क्योंकि ये तथ्य मनुवादी-पूंजीवादी वर्ग द्वारा किये जा रहे शोषित वर्ग के शोषण को प्रकट कर देते हैं।
इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार में मुख्यमंत्री बहन जी सुश्री मायावती द्वारा शोषित वर्ग के महान व्यक्तियों संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर, महामना जोतिबा फुले, माता सावित्री बाई फुले, माता रमाबाई अम्बेडकर, छत्रपति शाहूजी महाराज, मान्यवर कांसीराम साहब, शोषित वर्ग के सम्मान की प्रतीक सुश्री मायावती आदि के नाम पर स्मारक और पार्क बनवाने पर यही मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया दिन-रात भौंकता रहता है। जबकि शोषित वर्ग से सम्बंधित इन स्मारकों और पार्कों से शोषित वर्ग में चेतना का संचार हुआ और शोषित वर्ग मनुवादी-पूंजीवादी वर्ग द्वारा किये जा रहेे शोषण के प्रति जागरूक बना। इसके साथ ही इन स्मारकों और पार्कों से पर्यटन द्वारा होने वाली आय जनता के हित में ही व्यय की जाती है। जबकि मनुवादी स्मारकों, मन्दिरों, आश्रमों आदि मनुवादी स्थलों पर आने वाला धन और होने वाली आय चुटकी भर मनुवादी-पूंजीवादी लोगों के पेट में जाती है और वे इसका उपयोग अय्याशियाँ करने हेतु करते हैं। मनुवादियों के मन्दिरों से होने वाली आय की एक झलक सारणी 1 से मिल जाती है:-
सारणी-1

क्रमांक
तथाकथित हिन्दू धर्म के मन्दिर
मन्दिरों की आकलित कुल सम्पत्ति
1
पद्मनाभस्वामी मंदिर, तिरुनन्तपुरम, केरल
1.2 लाख करोड़ रुपये
2
तिरुमला तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर, तिरुमला, आंध्र प्रदेश
 52000 करोड़ रुपये आय 650 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष
3
पुरी जगन्नाथ मन्दिर, पुरी, उड़ीसा
 250 करोड़ रुपये
4
वैष्णो देवी, जम्मू कश्मीर
वार्षिक आय 500 करोड़ रुपये
5
सिद्धिविनायक मन्दिर, मुम्बई, महाराष्ट्र
वार्षिक आय 320 करोड़ रुपये

इससे सम्पूर्ण देश में फैले करोड़ों छोटे-बड़े मनुवादी मन्दिरों की अकल्पनीय आय का अनुमान लगाया जा सकता है। यह समस्त आय चुटकी भर मनुवादी-पूंजीवादी लोग हड़प लेते हैं। परन्तु मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया शोषित वर्ग से सम्बंधित स्मारकों और पार्कों पर तो भौंकता रहता है जबकि मनुवादी स्मारकों और मनुवादी स्थलों पर चुप्पी साधे रहता है। इससे इस मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया का दोगलापन ही प्रकट होता है।
जबकि लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार सुश्री मायावती द्वारा लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बनवाये गए सभी स्मारकों और पार्कों पर कुल 5919 करोड़ रुपये व्यय हुए। अब यह धनराशि मनुवादी-पूंजीवादी सरकार द्वारा केवल दो स्मारकों अर्थात एकता की प्रतिमा और शिव स्मारक पर कुल व्यय धनराशि 6989 करोड़ रुपयों से  1070 करोड़ रुपये कम ही है। परन्तु मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया की आँखे फूट गयी हैं और जीभ कट चुकी है। इसी प्रकार यदि मंदिरों, गौशालाओं, मनुवादी स्मारकों आदि मनुवादी स्थलों को दिए गए अनुदानों और उनको दी गयी भूमि पर भी विचार किया जाए तो इन लाखों करोड़ रुपयों की धनराशि के सम्मुख शोषित वर्ग से सम्बंधित स्मारकों और पार्को पर व्यय की गयी धनराशि 5919 करोड़ रुपये तो चुटकी समान हैं। इसके साथ ही शोषित वर्ग के स्मारकों और पार्को से शोषित वर्ग और सामान्य जनता को अत्यधिक लाभ हो रहा है जबकि मनुवादी स्थल तो केवल मनुवादी-पूंजीवादी वर्ग के लिये भ्रष्टाचार के साधन बने हुए हैं। मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया शोषित वर्ग से सम्बंधित स्मारकों और पार्कों पर तो दिन-रात भौंकता रहता है परन्तु मनुवादी स्थलों पर उसके मुंह को ताला लग जाता है। तथाकथित साम्यवादी ठग भी शोषित वर्ग से सम्बंधित स्मारकों की तो आलोचना करते हैं परन्तु मनुवादी स्थलों पर उनको भी सांप सूंघ जाता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि यह तथाकथित साम्यवादी ठग वास्तव में मनुवादी-पूंजीवादी लोग ही हैं जो साम्यवाद का मुखौटा लगाकर शोषित वर्ग को ठगते रहते हैं और मनुवादी-पूंजीवादी वर्ग को लाभान्वित करते हैं।
अतः शोषित वर्ग को मनुवादी-पूंजीवादी दलाल मीडिया द्वारा किये जाने वाले दुष्प्रचारों से सावधान रहना चाहिये। इसी प्रकार तथाकथित साम्यवादी ठगों से भी सतर्क रहना चाहिये। क्योंकि तथाकथित साम्यवादी ठगों का उद्देश्य भी मनुवादी-पूंजीवादी व्यवस्था की रक्षा करना ही है।
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